वीर भाव चित्त धरिए ,  वीरो मत करिए भीरु की संगत ।।

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( राग गुनकली )

  स रे स म प ध स । स ध प म रे स

  रे ध कोमल , शेष शुद्ध स्वर , ध वादी , रे संवादी ।

 वीर भाव चित्त धरिए ,

 वीरो मत करिए भीरु की संगत ।।

 

 शूर भाव गौरव की बात है ,

 काटत फन्द मुक्ति हो जात है ।

 शक्ति ध्यान में रखिए ।। १ ।।

 

 शक्ति प्रेम से जिन अपनाई ,

 लक्ष्मी वसुधा तिन घर आई ।

 निर्बलता से डरिए || २ ||

 

 शक्ति तन मन धन और जन की ,

 काटत मूल सकल बन्धन की ।

 इनको सञ्चय करिए । ।३ ।।

 फूट को बिरवा विकट भयंकर ,

 छुवत डसत यह सकल नाश कर।

 इसको छेदन करिए । । ४ ।।

 

प्रभु प्यारे से जिसका संबंध है

 

 

तुम्हारे दिव्य दर्शन की इच्छा में लेके आया हूं

 

 

तव वन्दन हे नाथ करें हम ।

 

 

हे प्रभु हम तुमसे वर पाएं

 

 

ओम बोल मेरी रचना घड़ी घड़ी

 

 

बेला अमृत गया आलसी सो रहा

 

 

उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहां जो सोवत है

 

 

अमृत वेला जाग अमृत बरस रहा

 

 

प्रातः कालीन गीत , जाग गए अब सोना क्या रे

 

 

ओ३म् ध्वजगान

 

 

यह ओ३म का झंडा आता है

 

 

राष्ट्रगान आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम् ।

 

 

आर्य वीर दल ध्वज गान

 

 

राष्ट्रगान आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम् ।

 

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