अमृत बेला बेला अमृत गया , आलसी सो रहा , बन अभागा । साथी सारे जगे तू न जागा ।। झोलियाँ भर रहे भाग्य वाले , लाखों पतितों ने जीवन सँभाले | रंक राजा बने , भक्तिरस में सने , कष्ट भागा ।।१ ।। कर्म उत्तम थे नर तन जो पाया , आलसी बन के … Continue reading बेला अमृत गया आलसी सो रहा
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed