ध्वजगान
यह ओ ३ म् का झण्डा आता है , ऐ सोने वालो ! जाग चलो
लेकर उगते रवि की लाली , ले नित्य बसन्ती हरियाली ।
यह ले – ले लहरें आता है , धरती के जागे भाग चलो।।१ ।।
जब गोली गोले बरसेंगे , और सिर कट – कट कर सरसेंगे ।
हम मौत के भीषण आँगन में , हँस – हँस खेलेंगे फाग चलो।। २ ।।
पर्वत से कह दो नम जाए , सागर से कह दो थम जाए ।
यह एक बनाने दुनिया को , उमड़ा है अनुराग चलो । || ३ ||
अब प्रेम सच्चाई विद्या का यह झण्डा लहराया बाँका ।
हिंसा पाखण्ड अविद्या से कह दो कि अब तुम भाग चलो ।। ४ ||