उठ जाग मुसाफिर भोर भई , अब रैन कहाँ जो सोवत है ?
जो सोवत है सो खोवत है , जो जागत है सो पावत है ।।
टुक नींद से अखियाँ खोल जरा , और अपने प्रभु से ध्यान लगा ।
यह प्रीत करन की रीत नहीं , प्रभु जागत है तू सोवत है ( १ )
जो कल करना है आज कर ले , जो आज करना है अब कर ले ।
जब चिड़ियों ने चुग खेत लिया , तब पछताए क्या होवत है ( २ )
नादान भुगत करनी अपनी ऐ पापी पाप में चैन कहाँ ।
जब पाप की गठरी शीश धरी , फिर शीश पकड़ क्यों रोवत है ( ३ )
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