तव वन्दन हे नाथ करें हम ।
तव चरणन की छाया पाकर ।
शीतल सुख उपभोग करें हम ।।
माता का दुःख हरने के हित ।
न्योछावर निज प्राण करें हम ।।
भारत जननी की सेवा का ।
व्रतधारी व्रत नाथ करें हम ।।
पाप शैल को तोड़ गिराएँ ।
वेदाज्ञा इक शीश धरें हम ||
फूले दयानन्द की फुलवारी ।
विद्या मधु का पान करें हम ।।
सायं प्रातः तुझको ध्याएँ ।
भवसागर से पार तरें हम ।।