ध्येय गीत ( प्रात : यज्ञ के समय )
ओ३म् इन्द्रं वर्धन्तो अप्तुरः कृण्वन्तो विश्वमार्यम् अपघ्नन्तो अराव्णः ।।
सा रे गा मा पा धा सा रे सा रे गा रे सा ।
नि सा रे सा नि धा पा पा धा मा पा धा मा पा गा रे सा रे सा
हे प्रभो ! हम तुम से वर पाएँ ।
सकल विश्व को आर्य बनाएँ ।।
फैलें सुख सम्पत्ति फैलाएँ ।
आप बढ़ें तव राज्य बढ़ाएँ ।।१ ।।
हे प्रभो ! राग द्वेष को दूर भगाएँ ।
प्रीति रीति की नीति चलाएँ।।२ ।। हे प्रभो !