अन्यायी से लड़ना सीखो

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अन्यायी से लड़ना सीखो, अन्यायी से लड़ना सीखो।

लेना अपनी मंजिल पर दम, बीच राह में ऊब न जाना।

इस अथाह संसृति सागर में, पत्थर जैसे डूब न जाना।।

कूद पड़ो गहरे सागर में, काष्ठ समान उभरना सीखो । । १ । ।

जाग जाग नौजवान 👇 https://aryaveerdal.in/jag-jag-naujwan/

रस की बून्द पिलाए कोई तो, तुम रस के कलश उलीचो ।

यदि अपमान करें कोई तो, पकड़ जुबान हाथ से खीचों।।

ऊँगली दिखाए कोई तो तमक तमाचा जड़ना सीखो।।२।।

कायरता दो छोड़ बनो धुन के पक्के मर्दाने मन के ।

गहो दीन का हाथ तुम, चरणों के चाकर सज्जन के ।।

अधम अधर्मी उद्दण्डों से, सीना तान अकड़ना सीखो || ३||

उठो दयानंद के सिपाहियों 👇 https://aryaveerdal.in/utho-dyanand-ke-sipahiyon/

झूम-झूम कर मधुशाला में, मधु के प्याले बहुत पी लिए ।

अपनी रंगरेली अठखेली के , दिन जग में बहुत जी लिए । ।

देशबन्धुओं की रक्षा हित, अब संकट में पड़ना सीखो । । ४ । ।

वचन प्रकाश यहीं कवियों का नीति शास्त्र यही कहता है।

अत्याचारी से अति पापी अत्याचार जो कि सहता है ।।

देशद्रोहियों के विनाश हित कर में शस्त्र पकड़ना सीखो । ५ । ।।

तुम समय की रेत पर 👇 https://aryaveerdal.in/tum-samay-ki-ret-par/

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