है पुकारता स्वदेश जाग जाग नौजवान ।
हो गया प्रभातकाल नीन्द त्याग नौजवान ।
बन शिवा, प्रताप, राम, भीम, कृष्ण के समान ।
याद करके पूर्वजों की वीरता व स्वाभिमान ।।
शत्रुओं के रक्त से तू खेल फाग नौजवान । । १ । ।
धाँय धाँय कर समाज और देश जल रहा।
देख पीड़ितों की आहों का धुंआ निकल रहा । ।
लग रही है देश भर में एक आग नौजवान ||२||
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती 👇https://aryaveerdal.in/koshish-karne-walo-ki-har-nahi-hoti/
है हमारे पूर्वजों की जो पुनीत यादगार ।
जिस पर प्राण दे गए है देशभक्त बेशुमार ।।
हो न जाए नष्ट देश का वो बाग नौजवान ।। ३ ।।
उठ स्वराष्ट्र में नवीन ज्योति क्रान्ति की जला ।
बन महान् आर्यवीर जोश की लहर चला।
रूढ़ियों कुरीतियों से दूर भाग नौजवान । । ४ ।।
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