स रे स म प ध स। स ध प म रे स
रेध कोमल, शेष शुद्ध स्वर, ध वादी, रे संवादी ।
वीर भाव चित्त धरिए, वीरो मत करिए भीरु की संगत।।
शूर भाव गौरव की बात है, काटत फन्द मुक्ति हो जात है।
शक्ति ध्यान में रखिए।।१।।
गीत :- तव वन्दन ही नाथ करे हम 👇https://aryaveerdal.in/tav-vandan-he-nath-kare-ham-2/
शक्ति प्रेम से जिन अपनाई, लक्ष्मी वसुधा तिन घर आई ।
निर्बलता से डरिए ||२||
शक्ति तन मन धन और जन की, काटत मूल सकल बन्धन की।
इनको सञ्चय करिए ।।३।।
फूट को बिरवा विकट भयंकर, छुवत डसत यह सकल नाश कर ।
इसको छेदन करिए । । ४ । ।
गीत :- तुम्हारे दिव्य दर्शन की इच्छा👇https://aryaveerdal.in/tumhare-divya-darshan-ki-ichchha/