धरती की शान 👇
https://aryaveerdal.in/dharti-ki-shan/
उठो जवानो, आज तुम्हें इतिहास बदलना है।
इन अनगढ़ चट्टानों का विश्वास बदलना है ।।
माना कि अँधेरे काले हैं।
हाथों में नहीं मशालें हैं।
पैरों में पड़ गए छाले हैं।।
उठो जवानो! उर में ले उल्हास मचलना है ।।१।।
हम आज प्रगति को ओर चले 👇https://aryaveerdal.in/ham-aaj-pragti-ki-or-chale/
दूर-दूर तक राहें सूनी ।
राते हुई अँधेरी दूनी ।
चारों ओर लुटेरे खूनी ।।
उठो जवानो! उनके खून की प्यास बदलना है।। २।।
कुछ गौरी और सिकन्दर हैं।
कुछ दुश्मन घर के अन्दर हैं।
कुछ अपने ही जयचन्दर हैं।।
उठो जवानो! उनका करने विनाश निकलना है ।।३।।
रामकृष्ण की तुम हों सन्तानें ।
जिनका लोहा सारा जग माने।
अपने आपको भूले मरदाने।।
उठो जवानो ! ओम् ध्वजा ले हाथ निकलना है ।।४।
एक डाल के हम हैं पंछी 👇 https://aryaveerdal.in/ek-dal-ke-ham-hai-panchhi/