एक डाल के हम हैं पंछी, अलग-अलग अपनी भाषाएँ।
एक दूजे को साथ में लेकर, एक ही स्वर में गाएँ ।
गलत मत कदम उठाओ सोच कर चलो, विचार कर चलो।
राह की मुसीबतों को पार कर चलो।।
हम पे जिम्मेदारियां हैं देश की बड़ी ।
हम न बदलें अपनी चाल अब घड़ी घड़ी।
हम पे आने वाली आस की नजर पड़ी।।
चिराग ले चलोऽऽऽऽ आग ले चलो।
ये मस्तियों के रंग भरे फाग ले चलो।।१।।
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मिलके चलो एक साथ अब नहीं रुको।
बढ़ते चलो एक साथ अब नहीं थको ।
अन्याय का हो सामना न तुम कहीं झुको।।
साज करेगाऽऽऽऽ आवाज करेगा।
हमारी वीरता पे जहाँ नाज करेगा ||२|
दूर किनारे रहें मिले ना यह शिखर ।
मंजिल के मुसाफिर तुझे क्या राह की फिकर।
चट्टान तू तूफान के झोकों का क्या असर ।।
अँधेरा जा रहा दिन है कि आ रहा।
वो कौन मंजिलों पे मंजिले बना रहा ।। ३ ।।
काल की करवाल से इन्सान कब डरा ।
तू प्रलय के बादलों को छोड़ तो जरा ।
लाख मौत हो मगर मनुष्य कब मरा।
ज्योत तो जला पन्थ जो चला।
प्रेम का पला भला वो सूर्य कब टला ।।४।।
तुम्हारे दिव्य दर्शन की इच्छा 👇https://aryaveerdal.in/tumhare-divya-darshan-ki-ichchha/