निकल रहा सूरज प्राची में 👇https://aryaveerdal.in/nikal-rha-suraj-prachi-me/
धरती की शान, तू है मनु की सन्तान ।
तेरी मुट्ठियों में बन्द तूफान है रे ऽऽऽऽ
मनुष्य तू बड़ा महान् है- भूल मत।
तू जो चाहे पर्वत पहाड़ों को को फोड़ दे।
तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे ।।
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे।
तू जो चाहे धरती से अम्बर को जोड़ दे ।।
अमर तेरे प्राऽऽऽऽण, अमर तेरे प्राण मिला तुझको वरदान ।
तेरी आत्मा में स्वयं भगवान् है रे ऽऽऽऽ मनुष्य तू ।।१।।
चरित्र निर्माण 👇https://aryaveerdal.in/charitra-nirman/
नैनों में ज्वाल, तेरी गति में भूचाल ।
तेरी छाती में छिपा महाकाल है ।।
धरती के लाल, तेरा हिमगिरी सा भाल।
तेरी भृकुटी में ताण्डव का ताल है ।।
निज को तू जाऽऽऽऽन, निज को तू जान जरा शक्ति पहचान।
तेरी वाणी में युग का आहान है रे ऽऽऽऽ मनुष्य तू०||२||
धरती सा धीर तू है अग्नि सा वीर।
अरे तू जो चाहे काल को भी थाम ले।।
पापों का प्रलय रुके, पशुता का शीश झुके।
तू जो अगर हिम्मत से काम ले ।।
गुरु- सा मतिमाऽऽऽऽन्, गुरु सा मतिमान् पवन सा तू गतिमान ।
तेरी नभ से भी ऊँची उड़ान है रे मनुष्य तू० ।। ३ ।।