ओ३म् इन्द्रं वर्धन्तो अप्तुरः कृण्वन्तो विश्वमार्यम् । अपघ्नन्तो अराव्णः ।।
गीत : – बेला अमृत गया आलसी सो रहा 👇https://aryaveerdal.in/bela-amrit-gaya-aalsi-so-raha/
सा रे गा मा पाधा सा रे सा रे गा रे सा । . निसा रे सा निधा पा पाधा मा पा धामा पा गा रे सा रे सा
गीत : – उठ जाग मुसाफिर भोर भई 👇https://aryaveerdal.in/uth-jaag-musafir-bhor-bhai-ab-rain-kahan-jo-sovat-hai/
हे प्रभो ! हम तुम से वर पाएं ।
सकल विश्व को आर्य बनाएँ । ।
फैले सुख सम्पत्ति फैलाएँ ।
आप बढ़ें तव राज्य बढ़ाएँ । । १ । । हे प्रभो !
राग द्वेष को दूर भगाएँ ।
प्रीति रीति की नीति चलाएँ । । २ । । हे प्रभो!
गीत : – प्रातः कालीन गीत 👇 https://aryaveerdal.in/jaag-gaye-ab-sona-kya-re/