यह गगन हमारा है यह धरती अपनी है।
इसकी हर सन्ध्या भोर सुहानी अपनी है।
सूरज की किरणें देख रही, धरती के बेटे बदल रहे ।
नदियों की धड़कन तेज हुई, सागर के सीने उबल रहे।।
आज़ाद इरादों को, बन्धन स्वीकार नहीं।
दुश्मन की गर्दन पर तलवार उतरनी है ।।१।।
भारत के तुम वीर सिपाही 👇https://aryaveerdal.in/bharat-ke-tum-veer-sipahi/
जीने दो और जीओ स्वयं भी, भारत भू की वाणी है।
लेकिन हमको अन्यायी, सत्ता की धूल उड़ानी है ।।
हमको तो जीवन की, दुर्बलता स्वीकार नहीं ।
अपने पुरखों की तरह, फिर अमरता वरनी है।।२।।
आओ अटल प्रतिज्ञा ले ,दुश्मन का दर्प मिटाने को ।
आज़ादी पर ही जीने को आजादी पर मिट जाने को ।।
विप्लव की आँधी रुके, हमको स्वीकार नहीं।
हमको तो रावण की, फिर लंका जलानी है || ३ ||
यह धरती हिन्दुस्तान की 👇 https://aryaveerdal.in/yah-dharti-hindustan-ki/