भारत म्हारो देश, फूटरो वेश, के धन-धन भारती ।
बोलो जय जयकार उतारो आरती ।।
सोना उगले अम्बर धरती, मोतिड़ा बरसावे रे।
मुलके सूरज चाँद गीत, कोयलड़ी मीठा गावे रे।।
हिमगिरी योगिराज शीश पर ताज की गंगा वारती ।
समदरियां री लेहराँ चरण पखारती ।। १ ।।हो उतारो ०
बलिदानों से हमको मिला देश हमारा 👇https://aryaveerdal.in/balidano-se-hamko-mila-desh-hamara/
कुण भूले रो राणा ने, चेतक ने हल्दी घाटी ने।
वीर शिवा सो शूर अठे, दुनियाँ पूजे इन माटी ने । ।
रणचण्डी रो मोड़ दुर्ग चित्तौड़ की मौत निहारती ।
जोहर की लपटों ने रोज निहारती ।। २ ।। हो उतारो०
तिलक गोखले भगतसिंह, बापू झाँसी री महारानी।
जोहर देख जवानारी तू, बता कठे इतनो पानी ।।
गीता से उपदेश कृष्ण सन्देश कृष्ण सो सारथी ।
आज भारत री धरा विश्व ललकारती ।।३।। हो उतारो०
हमको है अभिमान देश का 👇https://aryaveerdal.in/hamko-hai-abhiman-desh-ka/