आर्य वीर दल शाखा नायक श्रेणी शारीरिक पाठ्यक्रम

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सुरक्षा

अधःपदाघात ( लोअर फ्रण्ट किक ) से सुरक्षा

1.हस्ततल ( हथेली ) से दबाना ( पुश ब्लाक )
2.हस्तातिक्रम्य सुरक्षा ( हाथों को क्रास करके रोकना )
3.जानु ( घुटने ) को मोड़कर प्रहार को रोकना ।

मध्य पदाघात ( मिडिल किक ) से सुरक्षा

1.बाह्यापसारणम् ( आउट साइड ब्लाक )
2.आभ्यन्तरापसारणम् ( इन साइड ब्लाक )
3- पार्श्वे अपसारणम् ( दोनों हाथों से बाएँ दाहिने प्रहार को धकेल देना – साइड पुश )
4.पुश ब्लाक ( प्रहार को नीचे की ओर दबा देना )

ऊर्ध्वपदाघात ( अपर किक ) सुरक्षा

1- ऊर्ध्वसुरक्षा , ( अपर ब्लाक , हाथ को नीचे से ऊपर लेते हुए प्रहार को ऊपर उठाकर प्रतिपक्षी को गिरा देना )

2.तिर्यक् अपसारणम् ( अपर आउट साइड ब्लाक )

3.दोनों हाथों से पार्श्व में या नीचे दबाते ( पुश ) हुए प्रहार को रोकना ।

4.नीचे बैठना या पार्श्व में होकर प्रहार व्यर्थ करना ।

पार्श्वपदाघात ( साइड किक ) से सुरक्षा

1. पार्श्वे अपसारणम् ( प्रहार की दिशा में घूमकर दोनों हाथों से साइड पुश )
2.हस्ततल ( हथेली ) से नीचे दबाना ( डाउन पुश )
4.जानु ( घुटने को ऊपर उठाकर रोकना )
4.-नीचे बैठकर या पीछे झुककर वार को खाली करना अथवा पीछे सरककर वार की सीमा से हट जाना ।

दून्दू

1- त्रिपद पवित्रा आगे चलकर ऊपर , मध्य , नीचे मुष्टि प्रहार करना एवं प्रतिपक्षी द्वारा रोकना ।

2- षट्पद पवित्रा – पूर्ववत् मुख , पेट तथा अण्डकोष के ऊपर दाहिने – बायें हाथ उन्हें रोकना । से प्रहार करते हुए आगे बढ़ना , पीछे हटते हुए

3 पवित्रा चलकर तीन प्रहार दाहिना , बायाँ , दाहिना मारना । रक्षक द्वारा इन्हें रोकना और प्रत्याक्रमण करना । ( क ) छाती पर प्रहार , रक्षक बायें हाथ बाहर से भीतर रोके । तीसरी बार दाहिने हाथ की चाप आक्रामक की दाहिनी पसली पर मारे ।
( ख ) पहले की भाँति प्रहार , रक्षक बायाँ पैर पीछे लेकर दाहिने हाथ से भीतर से बाहर सुरक्षा करे और कनपटी पर चाप मारे ।
( ग ) मुख पर प्रहार , ऊर्ध्व सुरक्षा और पुनः दाहिना मुष्टि प्रहार मुख पर मारे ।
( घ ) सामने आये प्रहार को बायीं हथेली से बाहर से भीतर को हटाना । रक्षक तीसरी बार दाहिनी चाप पेट पर मारे ।
( ङ ) मुख पर आये प्रहार को रक्षक बायें हाथ को तिरछा नीचे से ऊपर लेते हुए चाप से ब्लाक करे और तीसरी बार दाहिनी नाक पर चाप मारे ।

4- पुरःपदाघात एवं सुरक्षा

5 आत्मरक्षा दोनों हाथों से एक हाथ तथा दोनों हाथ पकड़ने पर छुड़ाना ।

सैनिक शिक्षा

पूर्व आज्ञाओं को दोहराना , सञ्चलन का अभ्यास चलते हुए दाहिनी ओर अभिवादन करना । दल दक्षिणतो नमस्ते दक्षिणदृक् , पुरोदृक् । आर्यवीर को स्वयं आज्ञा देने का अभ्यास करवाना चाहिए , जिससे वह दैनिक शाखा का सञ्चालन कर सके ।

दण्ड ( लाठी )

1.रणमार चौमुखी , बायीं ओर से
2.रणमार चौमुखी दायीं ओर से
3.रणमार तीन ( तीन पीछे , तीन आगे )
4.रणमार चौक चौमुखी ( एक कदम आगे , पौन चक्र )
5.बाना ( अमरबेल )
6.रणमार छलांग चौमुखी ।
7.जनेऊ प्रहार ( दाहिना , बायां जनेऊ मारते हुए आगे बढ़ना )
8.जनेऊ प्रहार – २ ( आगे मार , पीछे रोक ) – रणमार छलांग चौमुखी ।

दून्दू

1.बैठक मार ( गट्टा शिरमार , रोक )
2.ठुड्डी मार ( दो ठुड्डी , हूल , शिरमार , रोक )
3.जनेऊ मार ( सीधा , उलटा जनेऊ , हूल , शिरमार , रोक )
4.पवित्रा चलकर दो कनपटी , दो गट्टा मार

शूल

1.द्वि दिक्च्छेद -३ ( आगे बढ़ते जाना , पीछे आना )
2.अणी पलट
3.अणी पलट की चौमुखी
4.अणी बट की चौमुखी
5.चौमुखी चिरकाट पीछे बट , आगे घसर अणी , बट अणी , बायें पैर का पौन चक्र , शिर के ऊपर से शूल ६ घुमाना ।
7.कदम बढ़ाकर चारों दिशाओं में अणी मारना ( घोप निकाल का अभ्यास करना )

द्वन्द्व-

दो छाती में अणी , दो गुर्दे में अणी मारना , रोकना ।

क्षुरिका

पार्श्व भागों में प्रहार , रोक

1.( लंगोटा ( हस्ताकर्षण )

2.( कोहनी तोड़ ) कूर्परभग्न

3.( कन्धा चढ़ाना ) स्कन्ध बन्ध

4.( छाती पर लादकर गिराना ) वक्षनिपात

5.( छाती पर कोहनी रखकर बन्ध लगाना ) भुजवक्ष बन्ध

6.पाद प्रहार

7.दाहिनी कुक्षी पर प्रहार

8.( कमर तोड़ ) कटि निपात

9.(उदर निपात ( स्टोमक थ्रो )

10.( उल्टी पुट्ठी ) नितम्ब निपात ( हिप थ्रो )

11.वाम कुक्षी पर प्रहार रोक

क्रीड़ा –

जल – थल ,

सहायता ,

शक्ति परीक्षण ,

घोड़ा कबड्डी ,

जादू की कुर्सी ,

घोड़ा लड़ाई ,

ध्वजरक्षा ,

आर्य – दस्यु ,

चक्रव्यूह ,

पताका

एवं अन्य देशीय खेलों दौड़ने , ऊँचा कूदने , लम्बा कूदने का अभ्यास ।

अनुशासन

आर्यवीर का शिविर में रहने का ढंग , व्यवहार , शिष्टाचार , अनुशासन , सफाई , संगठन के प्रति निष्ठा , व्यक्तित्व आदि का निरीक्षण

बौद्धिक –

बौद्धिक पाठ्यक्रम के ६-१२ विषय

प्रेरक जीवन ११-२० तथा अन्य प्रवचन – १००

ध्वजगान , राष्ट्रगान , सन्ध्या । -५०

सायंकालीन मनोरंजन में प्रतिदिन एक महापुरुष के जीवन चरित्र को बौद्धिक शिक्षक आर्यवीरों को सुनायेगा तथा प्रश्न पूछेगा । यदि सम्बन्धित गीत भजन हैं तो वे भी गाने चाहियें ।

बौद्धिक शिक्षक का यह कर्त्तव्य है कि वह सन्ध्या के मन्त्र , यज्ञ की विधि , ध्वजगान , राष्ट्रगान को आर्यवीरों को बोल कर स्मरण कराये और बौद्धिक विषयों का सारांश भी नोटबुक में लिखवाये ।

 

आर्य वीर दल प्रथम श्रेणी शारीरिक पाठ्यक्रम

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