- भित्तिका अरुण वर्ण की।
- सूर्य मण्डल-मध्य में श्वेत वर्ण का।
- सूर्य मण्डल के मध्य में श्वेत वर्ण में चिह्नित ओ३म् का चिह्न ।
- दो तलवारें एक दूसरी को काटती हुई।
- लम्बाई चौड़ाई-ध्वज की लम्बाई (पृथ्वी के समानान्तर बाजू) तथा चौड़ाई (ध्वज
के समानान्तर बाजू) का अनुपात ३:२ होगा। अर्थात् यदि लम्बाई 6. फीट होगी तो चौड़ाई 4 फीट होगी।
- ध्वज वस्त्र- ध्वज का कपड़ा शुद्ध स्वदेशी होगा।
ध्वज स्तंभ – सफेद रंग का होना चाहिए।
ध्वज आरोहण विधि
- ध्वजारोहण के पहिले झण्डे को तह बनाकर रस्सी से इस प्रकार बाँध देना
चाहिए ताकि खींचने पर तुरन्त खुल जाए। तब रस्सी को ध्वज स्तम्भ से बाँध
देना चाहिए।
- ध्वजारोहण के समय आपको सज्ज (सावधान) की अवस्था में खड़ा हो जाना
चाहिए। इसके लिए समय पर शिक्षक आज्ञा देगा।
- बौद्धिक शिक्षक अध्यक्ष महोदय से ध्वज फहराने के लिए प्रार्थना करेगा और
- ध्वज स्तम्भ के पास जाकर डोरी खोलेगा और अध्यक्ष के हाथ में डोरी पकड़ा देगा।
ध्वज फहराते ही बिगुल, बाजा इत्यादि बजेंगे।
- शिक्षक तब आर्य वीरों को आरम की आज्ञा देगा, बौद्धिक शिक्षक डोरी को ध्वज
स्तम्भ से बाँध देगा और अध्यक्ष को नमस्ते करके अपने स्थान पर खड़ा हो
जाएगा।
- इसके पश्चात् सज्ज की आज्ञा शिक्षक देगा और तब ध्वज गान होगा।
- अन्त में अध्यक्ष का भाषण होगा। भाषण के पश्चात् निम्न तीन जय घोष होंगे
(अ) वैदिक धर्म की जय हो।
(ब) आर्य वीरो जागो।
(स) संसार के श्रेष्ठ पुरुषो एक हो जाओ।
8.नमस्ते सभी आर्य वीर दाहिने हाथ की मुट्ठी बाँध कर उसे दाहिनी कनपटी
के पास लाकर नमस्ते करेंगे।
- विकिर- सभी आर्यवीर अपने दाहिनी ओर घूमें तथा दाहिना पैर दाहिनी ओर
बढ़ाकर बायाँ पैर आगे बढ़ाते हुए पंक्ति तोड़ दें या अपने अधिकारियों की
आज्ञानुसार पंक्ति में चले जाएँगे।
ध्वजावतरण विधि
सज्ज की अवस्था में ध्वजगान होगा।
२. ध्वजगान के अन्त में तीनों जयघोष बोले जाएंगे।
३. तदुपरान्त गायक द्वारा ध्वज उतारा जाएगा। साथ में बिगुल बजेगा।
नोट-
१. ध्वजारोहण और अवतरण के समय किसी व्यक्ति के नाम का नारा नहीं लगाना चाहिए।
२. शिक्षक के “गायक ध्वजस्थान” कहने पर गायक अपने स्थान पर
आएगा और सीटी का संकेत होने पर गान प्रारम्भ करेगा।