आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ व्यक्ति है। निरुक्त में
इसका अर्थ ‘ईश्वर-पुत्रः’ किया है। जो ईश्वर का
भक्त हो और उसकी आज्ञा अर्थात् वेदोक्त धर्म का
पालन करे, उसे आर्य कहते हैं। आर्य के आठ
लक्षण हैं-
ज्ञानी, तुष्टश्च, दान्तश्च, सत्यवादी, जितेन्द्रियः।
दाता, दयालु, नम्रश्च स्यादार्यो ह्यष्टभिर्गुणैः।।
अर्थात् ज्ञान (विद्या), सन्तोष, मन पर नियन्त्रण,
सत्यभाषण, इन्द्रियों को वश में करना, दान, दया
और विनम्रता ये आठ गुण आर्य में होने चाहिएँ। यह
शब्द संस्कृत की ‘ऋ’ धातु से बना है, जिसका
अर्थ ‘गति करना होता है। प्रगतिशील व्यक्ति को
ही आर्य कहते हैं।
‘वीर’ शब्द ‘वीर विक्रान्तौ’ धातु से बना है। जो
व्यक्ति पराक्रमी हो अथवा जिसे सम्मुख देखकर
शत्रु को कँपकँपी छूट जाए उसे वीर कहा जाता है।
‘दल’ शब्द संगठन का वाचक है अथवा दलनार्थक
‘दल’ धातु से इसकी व्युत्पत्ति होतीहै । इस प्रकार
आर्यवीर दल शब्द का अर्थ हुआ ‘श्रेष्ठ चरित्रवान्
संगठन’। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य
है कि पहले आर्य बनना आवश्यक है,
केवल वीरता सज्जन लोगों की रक्षा के स्थान पर
उन्हें पीड़ित भी कर सकती है।
अर्जुनसिहं आर्य व्यायाम शिक्षक मध्यप्रदेश
Hii
Dear sir
Aap hindu ki raksh ke liye kya kary kar rahe hai