सभा में खड़ा मरदाना ऊधमसिंह बलवान्।
कारतूस तो पड़े हुए थे पाकिट के दरम्यान ।
डायर के नजदीक पहुँचकर ले लिया ठीक निशान ।।
एकदम याद पिता की आई।
मुख पर छाई अरुणाई।
ओ३म् कह कर पिस्तौल चलाई ।
डायर के सीने में दिया गोली का मार निशान ।।१।।
वीर की चली दनादन गोली रे ।
खून की लगा खेलने होली रे।
पोल अंग्रेजों की सब खोली रे ।
सात लाश कर दई सिंह ने कर दिया लहुलुहान ।।२।।
शहीद भगतसिंह 👉🏻https://aryaveerdal.in/shahid-bhagat-singh/
पिताजी मैंने आपका बदला तारा रे।
तेरे पुत्र ने डायर मारा रे ।
निज फर्ज अदा किया सारा रे।
सदा रहो सर सब्जो मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ।। ३।।
पुलिस ने सिंह घेर कर पकड़ा रे।
सख्त जंजीरों से फिर जकड़ा रे।
रहा निर्भीक जेल में अकड़ा रे।
फाँसी दे दो ऊधमसिंह को है पूरा तूफान ।।४।।
क्रान्ति वीरों का पता 👇🏻https://aryaveerdal.in/kranti-veero-ka-pta/