26 से 29 अक्टूबर 2006 को दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2006 में आर्यवीर दल दिल्ली प्रदेश ने पूरे उत्साह से भाग लिया। यद्यपि अधिकतर शक्ति सेवा शिविर में लगी थी, फिर भी सभी आवश्यक कार्यक्रमों में यथासंभव उपस्थित होने के प्रयास किया गया।
27 अक्टूबर की रात्रि में आर्यवीर सम्मेलन में श्री वीरेन्द्र आर्य (संचालक) ने दिल्ली की ओर से उद्बोधन दिया। अंत में श्री जितेन्द्र खरबंदा ने पूरे विश्व से दिल्ली में पधारे आर्यजनों व आर्यवीरों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर आर्यवीर दल दिल्ली प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट www.aryaveerdal.org का उद्घाटन स्वामी देवव्रत सरस्वती जी के करकमलों से किया गया।
28 अक्टूबर को सांयकाल में व्यायाम सम्मेलन में आर्यवीर दल दिल्ली-प्रदेश की ओर से कमाण्डो का भव्य प्रदर्शन किया गया जिसे देख उपस्थित जन समूह हतप्रभ रह गया।
- आर्यवीर दल सेवा शिविर 2006
गत महासम्मेलनों की भांति अन्तराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2006 में भी आर्य वीर दल को महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करना था।
लाखों आर्यजनों की भागीदारी वाले इस महाकुम्भ की सफलता सुनिश्चित करने हेतु सार्वदेशिक सभा द्वारा सैंकडों समीतियों का गठन किया गया जिनमें से अधिकतर में आर्यवीरों की सक्रिय भागीदारी थी।
परिवहन व्यवस्था
आर्यजनों को रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों से सम्मेलन स्थल पर लाकर उन्हे आवंटित आवास तक प्रतिदिन लाने-ले जाने के कार्य की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी श्री वीरेन्द्र आर्य जी (प्रांतीय संचालक) एवं श्री नरेशपाल जी पर थी। इस कार्य हेतु 30 से अधिक बसें अनुबंधित की गई थी, जो श्री पंकज आर्य जी के नियंत्रण में 24 घंटे चलती रहती थी।
परिवहन व्यवस्था 23 अक्टूबर 2006 से प्रारंभ कर दी गई थी जो कि महासम्मेलन के पश्चात् आगंतुको को वापस रेलवे स्टेशनों एवं बस अड्डों तक पहुँचाने हेतु 31 अक्टूबर तक चलती रही। आर्यों के उत्साह के फलस्वरूप 25 अक्टूबर की रात्रि तक 50000 से अधिक लोग महासम्मेलन स्थल पर पहुँच चुके थे। 23 अक्टूबर से अनवरत चलती सुचारू परिवहन व्यवस्था के चलते 26 अक्टूबर की सुबह उद्घाटन के समय 1 लाख से अधिक आर्यजन महा सम्मेलन स्थल पर उपस्थित थे।
मैदान सज्जा
महासम्मेलन की समस्त मैदान सज्जा का कार्य महीनों पूर्व से ही प्रारम्भ हो गया था। खांड्वप्रस्थ सरीखे स्वर्ण जयंती पार्क को इंद्रप्रस्थ में परिवर्तित करने का पूरा श्रेय भी आर्यवीरों को ही जाता है। श्री विजेन्द्र आर्य जी के नेतृत्व में 20 अधिक अनुभवी आर्यवीरों की टीम ने जेसीबी, कम्प्यूटर ग्राफिक्स एवं उपग्रह की सहायता से दिन रात परिश्रम कर भव्यतम ‘महर्षि दयानन्द नगर’ की परिकल्पना को साकार किया।
सुरक्षा व्यवस्था
देश व आर्य समाज की विद्यमान परिस्थितियों को देखते हुए सार्वदेशिक सभा ने महासम्मेलन की समूची सुरक्षा व्यवस्था का भार एक बार फिर आर्यवीर दल को सौंपा। इसी परिपेक्ष्य में महासम्मेलन सुरक्षा समीति का गठन किया गया जिसमें श्री बृहस्पति आर्य, श्री जगबीर आर्य एवं श्री जितेन्द्र आर्य सदस्य मनोनीत किए गए।
इस समीति के अंतर्गत 750 से अधिक आर्यवीरों ने मेंटल डिटेक्टर, चैकिंग बॉक्स सीसी टीवी, कैमरा, वाकी-टाकी, मोटर पेट्रोलिंग, दूरबीन, शक्तिशाली सर्चलाइट एवं वाच टावर जैसे अत्याधुनिक यंत्रों की सहायता से अदम्य साहस व पूर्ण निष्ठा का परिचय देते हुए 25 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक महासम्मेलन स्थल पर उपस्थित लाखों आर्यजनों व पंडाल आदि की समस्त सुरक्षा व्यवस्था को संभाल रखा था। यहाँ लगभग 25 कमाण्डो आर्य वीरो का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है जिन्होने सुरक्षा का कार्य संभाल रखा था। महिला सुरक्षा हेतु आर्य वीरांगनाएं तैनात थीं।
सम्मेलन काल में लगभग 200 संदिग्धों से पूछताछ की गई, जिसमें से 50 को अपराधी साबित होने पर पुलिस को सौंपा गया (गोपनीय विषय वस्तु होने के कारण अधिक विस्तृत विवरण संभव नहीं है।)
यह आर्यवीर दल के शिविरों में दिए जाने वाले प्रशिक्षण का ही सुखद परिणाम है कि इतने विशाल कार्यक्रम में कोई भी संभावित अप्रिय घटना न होने दी गई जिससे महासम्मेलन निर्विघ्न संपन्न हुआ।
पंजीकरण व्यवस्था
आधुनिक युग में पीछे न रहते हुए श्री असीम आर्य के नेतृत्व में आर्यवीरों ने कम्प्युटरीकृत पंजीकरण की व्यवस्था को संभाल रखा था।
पार्किंग व्यवस्था
महासम्मेलन में आए हजारों वाहनों को व्यवस्थित खडे करने व उनकी सुरक्षा का दायित्व श्री रोहताश आर्य के नेतृत्व में आर्यवीरों ने संभाला।
भोजन व्यवस्था
श्री वेदप्रकाश आर्य जी के नेतृत्व में हरियाणा से आए हजारों आर्यवीरों ने 24 घंटे भोजन व्यवस्था को चलाए रखा। जिसमें मात्र 4 घंटे का अवकाश सफाई हेतु लिया जाता था। इसमें आर्य वीर दल दिल्ली प्रदेश ने भी समय-समय पर सहयोग दिया।
सूचना एवं स्वागत कक्ष
हवाई अड्डों से लेकर महासम्मेलन स्थल तक सभी आगंतुकों के विशेष स्वागत का दायित्व आर्य वीरांगनाओं ने संभाल रखा था। माईक पर आवश्यक सूचनाओं के प्रसारण के कार्य को श्रीमती वीना आर्य एवं विभा आर्य के नेतृत्व में आर्य वीरांगनाओं ने पूरा किया।
योग कक्षा
श्री बृजेश आर्य एवं श्री विजय चतुर्वेदी के संयोजन में प्रतिदिन प्रातः 5 बजे योग कक्षा का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों आर्यजनों ने भाग लेकर स्वास्थ्य लाभ किया।
महासम्मेलन नियंत्रण कक्ष
किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए महासम्मेलन नियंत्रण कक्ष कीस्थापना की गई थी। नियंत्रण कक्ष सभी सुरक्षा प्रमुखों से वाकी-टाकी के माध्यम से जुड़ा था। यहीं से सीसी टीवी द्वारा पूरे क्षेत्र की 24 घण्टे निगरानी की जाती थी। नियंत्रण कक्ष को आपदा राहत वाहन एवं अग्निशमन उपकरणों से भी सज्जित किया गया था। नियंत्रण कक्ष में आकस्मिक सहायता टोली 24 घण्टे- . तैनात रहती थी।
महासम्मेलन में आए लाखों आर्यजनों ने आर्य समाज की संगठित युवा शक्ति के इस अनुपम स्वरूप को देखा और अपने क्षेत्र में भी आर्यवीर दल की स्थापना का निश्चय किया। निश्चित रूप से एक बार फिर आर्यवीर दल ने अपनी महत्ता साबित करते हुए आर्य समाज के सुखद भविष्य का भान कराया। मैं उन हजारों आर्यवीरों को कोटि-कोटि नमन करता हूँ जिन्होने निस्वार्थ भाव एवं पूर्ण निष्ठा से आर्य समाज के इतिहास के इस स्वर्णिम पृष्ठ की रचना में अपना अमूल्य योगदान दिया।